Rahim Das Ke Dohe With Meaning In Hindi [संत रहीम दास के दोहे]

 Rahim Das Ke Dohe With Meaning In Hindi

[संत रहीम दास के दोहे-2020]

दोस्तों आप सभी ने सुनाही होगा संत रहीम दास जी का नाम ! अगर नहीं सुना है तो चलिए हम आपको इनसे  अवगत करते हैं।  रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था , है न दोस्तों अजीब नाम। इनका जन्म 1556 ई. में लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिताजी का नाम बैरम खाँ मुग़ल सम्राट अकबर के संरक्षक थे। किसी कारणवश अकबर बैरम खाँ से रूष्ट हो गया था और उन्हें देशद्रोह का आरोप लगा कर हज की यात्रा करने के लिए मक्का भेज दिया। मार्ग में उसके शत्रु मुबारक खाँ ने उसकी हत्या कर दी। संत रहीम  दास का मृत्यु 1627 में हुई। 

दोस्तों रहीम दास जी अपने जीवन काल में बहुत सारे  कविताओं का किये। इन्होने जीवन को  में समझाया है इनकी कविता चाय में शक्कर के सामान है थोड़ा सा मिल जाने पर पुरे चाय को मीठा  है। उसी प्रकार इनकी कविताओं में है। हमने इनके कविताओं को छोटे कक्षाओं में पढ़ा ही है। तो चलिए आज और अधिक इनके कविता के बारे में जानते जानते हैं। यह कवितायें  जितनी अकबर के समय में महत्वपर्ण थे उतना ही आज भी यह मत्वपूर्ण है। 

 Rahim Das Ke Dohe With Meaning In Hindi
Rahim Das Ke Dohe With Meaning In Hindi

संत रहीम के बारे में जानकारी चार्ट के माध्यम से [Rahim Das Ke Dohe]

संत रहीम दास का पूरा नाम  अब्दुर्रहीम खानखाना
जन्म  1556 ई.
मृत्यु  1627 ई.
प्रसिद्धि  कवि 
पिताजी का नाम  बैरम खाँ
भाषा [कविता लेख] ब्रज, अवधि, खड़ीबोली 
काल मुग़ल काल 

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1. पुरूष पूजै देवरा , तिय पूजै रघुनाथ।

कहि रहीम दोउन बने , पँड़ो बैल के साथ।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि यदि किसी परिवार में पति भूत-प्रेत अथवा अन्य देवी देवताओं की पूजा करे तथा पत्नी रामजी की पूजा करे , तो दोनों की स्थिति भैंस एवं बैल के जैसी है। यानि जैसे बैल एवं भैसें को एक साथ बांधा जाता हो , तो बड़े विचित्र लगते हैं। उसी प्रकार यदि पति पत्नी दोनों अलग – अलग दवाओं की पूजा करें, तो विचित्र लगता है। ऐसे में गृहस्थि की गाड़ी चलना मुश्किल होती है।

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2. भीत गिरी पाखान की , अररानी वहि  ठाम।

 रहीम धोखो यहै, को लागै केहि काम।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि सुरक्षा की दृष्टि से पत्रों की जो मजबूत दीवार खड़ी की गई थी, वही एक झटके में भरभराकर गिर पड़ी और उसके पत्थर इधर उधर बिखर गए। अब विचार करने योग्य बात यह है कि दिवार से हटकर गिरा कौन सा पत्थर किस काम आ सकता है ? क्योंकि दिवार से गिरा एक-एक पत्थर अविश्वसनीय एवं सुरक्षा की दृष्टि से विश्वासघाती है। कहने का तात्पर्य यह है कीजो  अपने स्थान से हट जाता है , उसका कोई महत्वा नहीं रहता। दिवार के पत्थर अपने स्थान  से हैट जाये, तो अब उनका क्या महत्वा रह गया।

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3. मनसिज माली कै उपज , कही रहीम नहीं जाए।

फल श्यामा के उर लगे , फूल श्याम उर जाए।।

व्याख्या:- रहीम कहते है कि कामदेव के रूप में माली वाटिका रुपी उपज तैयार करता है उसकी विचित्रता  बखान नहीं किया जा सकता। कामदेव रुपी माली ने वाटिका रुपी जो उपज तैयार की है उसमें कुच (स्तन) रुपी फल तो राधा के वक्ष पर खिलते हैं और प्रसन्ता रोपी फूल श्री कृष्ण के ह्रदय में खिलते हैं।

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4. बड़े बड़ाई नहिं तजैं, लघु रहीम इतराय |

राइ करौंदा होता है, कटहर होत न राइ ||

व्याख्या : – रहीम कहते हैं कि जो लोग प्रतिष्ठत होते हैं वे अपनी प्रतिष्ठा कभी भी नहीं गंवाते | चाहे कैसे भी अवसर क्यों न आ जाए | उनकी प्रतिष्ठा अथवा बड़प्पन उनकी विनम्रता में दिखता है | इसके विपरीत जो छोटे लोग होते हैं वो यदि थोड़े से भी समृद्ध हो जाते हैं, तो वे अपने आप पर घमंड करने लगते हैं | उदाहरण देते हुए रहीम कहते हैं कि जैसे राई का बीज यदि करौंदा बन जाए, तो उसे अपने ऊपर अभिमान हो जाता है | जबकि कटहल में यह भावना नहीं पनपती। 

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5. गुरुता फबै रहीम कहि, फबि आई है जाहि |

उर पर कुच नीके लागैं, अनत बतौरी आहि ||

व्याख्या : – रहीम कहते हैं कि बड़प्पन उसी के लिये शोभनीय होता है जिसके चेहरे पर वह शोभायमान होता है | जैसे कूच ( स्तन ) वक्षसस्थल पर शोभा पते हैं | यदि यह शरीर के किसी दूसरे भाग पर हो, तो कोई खतरनाक रोग कहलाता है | भाव यह है कि जिसकी जहां शोभा होती है, वह वहीं शोभाजनक लगता है |

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6. जब लगि जीवन जगत में, सुख दुख मिलन अगोट |

रहिमन फूटे गोट ज्यों, परत दुहुंन सिर चोट ||

व्याख्या : – रहीम कहते हैं कि जब तक इस संसार में जीवन है सुख – दुख भोगने ही पड़ेंगे | सुख और दुःख एक – दूसरे के पूरक हैं | अत: सुख के बाद दुःख का आना एवं दुःख के बाद सुख आना जरुरी होता है | सत्य बात तो यह है कि हम सब सुख – दुख बांटते हुए अपना जीवन व्यतीत करते हैं | उदाहरणार्थ चौसर के खेल में पिटने वाली और पीटने वाली अर्थात दोनों ही गोटों को सिर पर चोट सहनी पड़ती है |

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7. मुकता कर कारपूर कर, चालत जीवन जोय |

एतो बड़ो रहीम जल, ब्याल बदन विष होय ||

व्याख्या : – रहीम कहते हैं कि जैसा संगत में रहता है वो भी वैसा ही हो जाता है | जिस प्रकार स्वाति नक्षत्र में होने वाली वर्षा की बूंद जब सीप में गिरती है, तो मोती बन जाती है, केले के पत्ते पर गिरती है, तो कपूर और चातक के मुख में गिरने पर उसको जवीनदान दे देती है | परन्तु जब वही बूंद सांप के मुंख में गिरती है, तो विष बन जाती है | यह संगत ही असर होता है | जैसी संगत वैसा भेष |

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Rahim Das Ke Dohe With Meaning In Hindi

8. देन हार कोउ और है, भेजत सो दिन रैन |

लोग भरम हम पर धरें, याते नीचे नैन ||

व्याख्या : – रहीम कहते हैं कि मेरे पास जो भी है वो मेरा नहीं दान देने वाला तो कोई और ही है | वही दान करता है और लोग भ्रमवश समझते हैं कि मैं दान दे रहा हूँ | देने वाला दिन रात धन भेजता रहा है और मैं दान करता रहता हूँ | इसी कारण मैं अपनी आँखें नीचा कर लेता हूँ | अत: मनुष्य को दान देते समय अपने ऊपर गर्व नहीं करना चाहिये ; क्योंकि उसके पास कुछ भी अपना नहीं है |

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9. दादुर मोर किसान मन, लग्यौ रहै घन मांहि |

पै रहीम चातक रटनि, सरवत को कोउ नांहि ||

व्याख्या : – रहीम कहते हैं कि मेंढक, मोर, किसान इन सबका मन सदैव मेघ की और ही रहता है | परन्तु इतना प्रेम चातक की बराबरी नहीं कर सकता ; क्योंकि चातक तो पीकहां –  पीकहां की रट ही लगाए रहता है। इस कारणवश बदल भी  पुकार सुनकर उसकी ओर खींचे  आते हैं ; परन्तु यह भी सच्चा है कि इनमें से जो कोई भी नदियों से प्रेम नहीं करता, सदैव जल से भरी रहती हैं।

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10. नाद रीझि तन देत मृग , नर धन हेत समेत।

ते रहीम पसु ते अधिक , रीझेहु कछु न देत।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि हिरण संगीत का प्रेमी होता है और संगीत प्रेमी होने का कारण ही वह अपने शरीर तक को दे देता है अर्थात शिकारी संगीत की धुन निकलता है और वह संगीत की धुन के कारण शिकारी के पास चला जाता है। उसी तरह मनुष्य भी प्रेम के  चक्कर में अपना छान सम्पत्ति सब कुछ दे देता है ; परन्तु ओ लोग तो पशु से भी अधिक निकृष्ट होते हैं , जो किसी भी तरह नहीं रीझते हैं अर्थात नीरस होते हैं।

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11. जो रहीम होती कहूं , प्रभु गति अपने हाथ।

तो कोधों केहि मान तो , आप बड़ाई हाथ।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि  जो प्रभु की शक्ति होती है यदि वह मनुष्य के हाथ में होती तो ईश्वर को कौन मानता सब अपने अपने ही बड़ाई करने में लगा रहता। इसलिए प्रभु ने अच्छा ही किया जो मनुष्य के हाथों में दैवीय दी।

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12. धनि रहीम जल पंक को , लघु जिय पियत अघाय।

उंदधि बड़ाई कौन है , जगत पियासो जाय।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि धनवानों का धनि होंना किस काम का जो किसी की सहायता नहीं कर सकते हैं। इससे अच्छे तो ओ लोग होते हैं जो दया भावना रखते हुए यथाशक्ति दीन दुःखियों की मदद करते हैं। ठीक वैसे ही जैसे सागर में अत्यधिक जल होने पर भी वह किसी की प्यास शांत नहीं करता इससे विपरीत कीचड़ का जल जिसे पीकर अनेकों छोटे जीव जंतुओं को तृप्ति मिल जाते है।

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13. सरवर के खग एक से , बढ़त प्रीती न धीम।

पै मराल को मानसर , एकै ठौर रहीम।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि  सज्जनों का प्रेम विलक्छण होता है। उनका प्रेम अटूट होता है वे जिसे चाहते हैं उनसे अलग नहीं होते। जैसे हंस मानसरोवर में ही होता है वे उन्हें छोड़ कर सरोवर अथवा छोटे मोठे जल सरोवर में नहीं रहता। जबकि अन्य पक्षी सरोवर में ही रहते हैं। वे एक सरोवर से दूसरे सरोवर में उतर जायेंगे।  परन्तु सरोवर  उनका प्रेम काम नहीं होता।  सभी सामान रूप से  सरोवर को चाहते हैं। उसी में  रहते हैं और उसी का जल पिते  हैं।

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14. रहिमन चाक कुम्हार को , मांगे दिया न देई।

छेद में डंडा डारि कै , चहै नाद लै लेई।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि यदि कुम्हार चाक  से एक दिया  मांगता है, तो चाक नहीं देता।परन्तु जब वह चाक के छेड़ में डंडा डालकर घुमाता है , तो वह बड़ा सा बड़ा मिट्टी का पात्र बना देता है। इस तरह दुर्जन व्यक्ति से विनम्रता पूर्वक कोई काम कहा जाये , तो वह नहीं करता परन्तु यदि उसे डंडा दिखाकर भयभीत कर दिया जाये , तो वह बड़ी से बड़ी चीज तुरंत दे देगा।

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15. रन बन ब्याधि , बिपत्ति में, रहिमन मरै न रोय।

जो रच्छक जननी जठर , सो हरी गये कि सोया।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि रणभूमि में , वन में , रोग में , कठिन के समय किसी को भी रो-रोका प्राण नहीं त्यागना चाहिए क्योंकि वो हरी जो माता की गर्भ में भी शिशु की रक्षा करते हैं वो अभी सोये नहीं हैं ,तो फिर किसी की दुःख में सदैव रक्षा करते हैं अतः उन पर विश्वास रखते हुए सुख-दुःख में एक  रहना चाहिए।

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16. रहिमन गली है सांकरी, दूजो नहिं ठहराहिं। 

आपु अहै तो हरि नहीं ,हरी हरि तो आपनु नाहिं।।

व्याख्या:- रहीम कहते हैं कि प्रेम (भक्ति) गली बहुत सकरी है इसमें दोनों अर्थात ईश्वर और अहंकार एक साथ नहीं रह सकते हैं। यदि किसी के हृदय में अहंकार है , तो वह हरि के लिए कोई जगह नहीं अर्थात प्रभु भक्ति है, तो उसके अहंकार का कोई स्थान नहीं है। 

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दोस्तों आपको Rahim Das Ke Dohe With Meaning In Hindi पसंद आया होगा। हम इस दोहे को सरल से सरल भाषा में व्यक्त करने का कोशिस किया है ताकि छोटे कक्षाओं के विद्यार्थी आसानी से समझ पाएं। अगर आपको Rahim Das Ke Dohe With Meaning In Hindi थोड़ा सा भी अच्छा लगा तो आप इसे अपने दोस्तों के साथ sher करना न भुलें। ताकि यह सभों तक पहुंच सके। अगर आपको किसी भी विषय के बारे में लेख चाहिए तो आप कमेंट कर सकते हैं। हम आपको जल्द ही उत्तर देने का प्रयास करेंगे।

धन्यवाद। 

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